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पिताजी में हमेशा रहती शिष्टता

बरगद वृक्ष की तरह छाया देते

मशीन की तरह दौड़ते फिरते

माताजी में हमेशा रहती ममता

प्यार के बंधन में बांधती

लगातार रखवाली करती

माँ बाँप के पैरों में हैं जन्नत

सदा हमारे साथ रहे, यही मेरी मिन्नत

जीवन में एक सपना था अधूरा

इबादत और माँ बाँप के आशीर्वाद से एक दिन हुआ पूरा

जीवन में जीतना हैं तो लेना है जोखिम

हारना हैं तो नहीं करना हैं परिश्रम |

Mrs. K. PRIYA,

Assistant Professor in Hindi,

Department of Languages.


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